मुलायम के लिए कहे गये विशिष्ट विभूतियों के वाक्य

देश का अगला नेतृत्व ग्रामीण परिवेश का होगा, आज देश को मुलायम सिंह जैसा जुझारू, संकल्प का धनी और कर्मठ नेतृत्व की आवश्यकता है।

-डा0 राममनोहर लोहिया (22 अगस्त, 1967)

मुलायम सिंह से सभी नेताओं को संघर्ष व संगठन चलाने की सीख लेनी चाहिए। मुझे स्वीकारने में जरा भी हिचक नहीं है कि मुलायम ही मेरा उत्तराधिकारी है जो किसानों, गरीबों, और वंचितों की बात करता है, उनके लिए लड़ता है।

-चैधरी चरण सिंह (बस्ती जनसभा 1986)

मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश में कभी समाजवाद की आँच और अलख को धीमा पड़ने नही दिया, वे संघर्ष के बल पर नेता बने हंै, उनके महत्व को हम लोग समझते हंै।

-जननायक कर्पूरी ठाकुर

मुलायम की कथनी और करनी कोई फर्क नहीं। वे जो कहते हैं, करते हैं। जमहूरियत व उर्दू के वे सच्चे हिमायती तथा हिन्दु-मुस्लिम यकजहती के पैरोकार हैं।

-कैफी आज़मी (1992 मेजवां)

मुलायम लड़ाका है, वह जनता के सवालों पर किसी से भी लड़ सकता है, हर प्रकार का जोखिम उठा सकता है। वह साधारण नेता नहीं है।

-लोकबन्धु राजनारायण (22, नवम्बर, 1989)

समाजवादी रूढि़यों, आर्थिक विषमताओं, सामाजिक असमानता तथा शोषण एवं अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने वाले साहसी व्यक्तियों के इतिहास में श्री मुलायम सिंह यादव का एक विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण स्थान है।

डा0 राममनोहर लोहिया से प्रभावित होकर श्री यादव समाजवादी आन्दोलन मे कूद पड़े। उन्होंने एक ओर बचपन से सामाजिक रूढि़यांे का विरोध करके अपनी जाति-बिरादरी से बहिष्कृत होने का खतरा उठाया, वहीं दूसरी ओर वे साम्प्रदायिक सद्भावों कायम रखने तथा समता और समानता पर आधारित शोषण रहित एक ‘आदर्श समाज’ की स्थापना के लिए भी निरन्तर प्रयासरत रहे हैं। संघर्ष की आँच मंे तपकर निकले ऐसे व्यक्तित्व के धनी पुरुष ही इतिहास की धारा को नया मोड़ देने मे सफल होते हंै। वास्तव में किसी व्यक्ति की उपलब्धियों, कमजोरियों, खूबियों, और कमियों का आकलन प्रायः उसके अपने समय मे नहीं हो पाता। डा0 लोहिया जब तक जीवित रहे, उन्हांेने देश की अर्थव्यवस्था पर, सामाजिक आचार-संहिता पर नीतियों और कार्यक्रमों पर जो समाजवादी विचार दिये थे, वे यद्यपि उनके अपने समय मे बहुत ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो सके, किन्तु उनकी मृत्यु के बाद उनकी आर्थिक नीतियों पर, उनकी विचारधारा पर आज लोग फिर सोचने के लिए विवश हुए हंै। इस सम्बन्ध में डा0 लोहिया स्वयं पूरे विश्वास के साथ यह कहा भी करते थे कि ‘मैं भले ही मर जाऊँ इन्सान जिन्दा रहेगा और आखिरकार जीत समाजवाद की ही होगी’। मेरे इस कथन में लेशमात्र भी अतिश्योक्ति नहीं है कि यदि डा0 लोहिया की समाजवादी नीतियों और कार्यक्रमों को क्रियान्वित किया जाता तो निश्चय ही देश अब तक बहुत आगे बढ़ चुका होता। प्रसन्नता की बात है कि श्री मुलायम सिंह यादव अब डा0 लोहिया के सपनों को साकार करने के लिए कृत संकल्प हंै।

चैधरी चरण सिंह, जिनका श्री यादव पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है, भारतीय राजनीति के एक लौह-पुरुष थे। डा0 लोहिया की विचारधारा और चैधरी चरण सिंह की दृढ़ता और संकल्प का एक अद्भुत समन्वय श्री मुलायम सिंह में देखने को मिलता है। अपने अनेक समकालीन राजनीतिज्ञों और उभरते हुए नेताओं के वे प्रेरणास्रोत है। स्पष्टवादिता, कठिन से कठिन परिस्थितियों मे त्वरित निर्णय लेने की क्षमता और विपरीत महौल में भी अपने सिद्धान्तों , विचारों और नीतियों पर समझौता न करने की उनकी दृढ़ता के फलस्वरूप ही ढ़ुलमुल राजनीतिज्ञों के बीच उनका कद निःसंदेह ऊँचा हुआ है। अस्थिरता, अनिश्चितता और गहन निराशा के इस मौजूदा माहौल में अपने व्यक्तित्व और चरित्र के बल पर इतिहास को नया मोड़ देने में श्री मुलायम सिंह ने अपने आपको पूर्णतया समर्थ सिद्ध किया है। किन्ही भी परिस्थितियों में धैर्य और साहस न खोने और लचीला रुख अपनाने के बावजूद सि(ान्तों के प्रश्न पर समझौता न करना उनके व्यक्तित्व की एक विशेषता है। प्रशासन चलाने में वे दक्ष हैं। मेरी कामना है कि वे भारतीय राजनीति में अपनी कुशलता से एक विशिष्ट पहचान बनायेंगे तथा देश की प्रतिष्ठा को बढ़ायेंगे।

-बी.सत्यनारायण रेड्डी (9 अप्रैल, 1991)

लोहिया के प्रशिक्षण से मुलायम कमजोर खासतौर से पिछड़े वर्ग के पक्ष में लड़ने के लिए प्रेरित हुए तथा संगठन बनाने का मूल झुकाव उनमें आया। सांप्रदायिकता से संघर्ष और अल्पसंख्यकों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के बुनियादी मुद्दों को साथ लेकर बड़ी हद तक लोहिया के समाजवाद को पुर्नपरिभाषित करते हुए मुलायम सिंह सामाजिक न्याय के लिए आक्रामण धर्मनिरपेक्ष मंच बनाने मे सफल हुए और धर्मनिरपेक्ष तथा लोकतांत्रिक शक्तियों के सांप्रदायिकता एवं प्रतिक्रियावादी ताकतों के खिलाफ संग्राम को गतिशील बनाने में सफल रहे। मुलायम सिंह और उनकी पार्टी के इस महत्वपूर्ण योगदान को सब स्वीकार करते हंै। भिन्न मुद्दों के राष्ट्रीय एकता और सामाजिक न्याय के सवाल पर उनके निर्भीक विचारों ने उन्हें भारतीय राजनीति की केन्द्रीय हस्तियों में से एक बना दिया है।

-हरकिशन सिंह सुरजीत

दमके जैसे ज्योर्तिधाम,
धरतीपुत्र मुलायम सिंह, तुमको मेरा लाल सलाम

-मधुकर त्रिवेदी

सच्चा एक पुजारी निकला खेत और खलियान का
धरती पुत्र मुलायम सिंह है नेता हिन्दुस्तान का,
गाँधी और लोहिया के सपनों का केवल एक रखवाला है
मुखिया बनकर झोपडि़यों को बाँटा बहुत उजाला है
निर्धन से भी निर्धन इन्सानों का भाग्य संभाला है
भेद-भाव के सामाजिक दलदल से हमें निकाला है
चलता-फिरता जादू है वह सामाजिक उत्थान का
धरती पुत्र मुलायम सिंह है नेता हिन्दुस्तान का।

-उदय प्रताप सिंह

लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के सिद्धान्तों अटूट प्रतिबद्धताओं और करिश्माई नेतृत्व की विशिष्टताओं वाले मुलायम आज निःसंदेह रूप से जनवादी ताकतों के स्वाभाविक नेता हैं। वे राष्ट्रीय राजनीति के भविष्य की आशा हैं।

-अशोक निगम

भारत में आज समाजवादी आन्दोलन का कोई संघर्षशील नेता है तो उसका नाम मुलायम सिंह है। आज की विषम राष्ट्रीय परिस्थितियों में मुलायम सिंह व हस्ती है जो देश में समाजवाद की अविरल धारा को लगातार प्रवाहमान कर रहे हैं। राजनीति में विचार की जो डगर शुरू मे पकड़ी उसे कभी उन्होंने छोड़ा नहीं।

- मोहन सिंह, (07 जून, 2011, आगरा)

इसमें दो राय नही की हिन्दी-पट्टी में लोहिया कि विचारधारा को मुलायम सिंह ने आगे बढ़ाया, आम लोगों को राजनीति की मुख्य धारा में लाकर मजबूती देकर लोकतांत्रिक समाजवाद के दायरे को बढ़ाया।

-रवि राय

मुझे हिन्दी सीखने की प्रेरणा मुलायम सिंह ने दी। वे राष्ट्र भाषा हिन्दी, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के प्रबल पैरोकार हैं।

-भारत रत्न अब्दुल कलाम

मानवीय गुणों और संवेदनाओं से भरपूर उनका व्यक्तित्व समाज के अन्तिम व्यक्ति तक उन्हें खींच कर ले जाता है। और उनकी आत्मीयता कार्यकर्ताओं से बाँधे रहती है। यही उनकी पूँजी है।

-बृजभूषण तिवारी

आज मुलायम सिंह के कद व किरदार के बराबर कोई नेता देश मंे नहीं है।

-प्रो0 रामगोपाल यादव

मुलायम सिंह के व्यक्तित्व मंे रचना और संघर्ष के दोनों परस्पर पूरक तत्व दिखाई पड़ते है। मुलायम अतीत की समाजवादी रणनीति से आगे बढ़कर नये तरह की समाजवादी राजनीतिक रणनीति के प्रणेता बनकर उभरे हैं। इस रणनीति में केवल पिछड़ांे को गोलबन्द करना ही नहीं है, वरन् पहली बार सफलतापूर्वक छोटी और दबी-पिसी जातियांे को अल्पसंख्यकों से जोड़ने का साहस और कुशलता दिखाई पड़ती है। यह लोहिया और अम्बेडकर की शैली की राजनीति है। वे अपने परिश्रम, कर्मठता, सिद्धान्तनिष्ठा और रणनीतिक कुशलता से भविष्य की राजनीति के नियामक बन सकते हैं।

-रजनी कोठारी (1993)

अगर मुलायम सिंह ने जो झण्डा ऊँचा किया है, उसे सचमुच पूरे हिन्दुस्तान में हम फहरा सके तो इस देश में सच्ची आजादी का सूत्रपात हो जाएगा।

-धर्मयुग (स्वतंत्रता दिवस अंक 1990)

लोहिया के बाद मुलायम सिंह ही ऐसे नेता हैं जिन्हें जनता के दुःख दर्द की समझ है, वे गाँव की समस्याओं और गरीबों की पीड़ा के कारणों को जानते है तथा उनके निदान के लिए बेचैन भी रहते हैं। इसलिए मैंने लोहिया के बाद मुलायम का नेता माना और उनसे बड़ा होते हुए भी उनका नारा लगाया।

-जनेश्वर मिश्र

चैधरी चरण सिंह जी की विरासत के सच्चे वारिस मुलायम सिंह जी ही हैं।

-राजेन्द्र चैधरी

मुलायम सिंह जी को संसदीय मर्यादाओं तथा कार्यप्रणाली का अनुभवजनित दुर्लभ समझ है। वे गरीबों, कमजोरों से जुड़े सैद्धान्तिक सवालों को सहजता के साथ उठाते हैं। नई पीढ़ी को उनकी सादगी, सरलता और संघर्ष के इतिहास से प्रेरणा लेनी चाहिए।

-माता प्रसाद पाण्डेय

आज की तारीख में वे समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के प्रतीक-पुरुष हैं। मुलायम सिंह यादव डा0 लोहिया के उस ध्येय को प्राप्त करने में क्रियाशील हैं जिसे सूत्र के रूप मे हम लोग अपनी युवा अवस्था से बुलंद करते रहे हैं कि ‘‘डा0 लोहिया का अरमान, मालिक हो मजदूर - किसान’’। अपने तीनों बार के मुख्यमंत्री काल में मुलायम सिंह जी ने हम श्रमजीवियों की आकांक्षाओं मे पूरा करने का प्रयास किया भले ही सफलता आंशिक रही है।

-कोटम राजू विक्रम राव

नेता जी जैसा स्वाभाविक नेता आज पूरे देश मे नहीं है। कार्यकर्ताओं के सुख-दुःख मंे शामिल होने में उनका कोई सानी नहीं है। वे नेता और अभिभावक दोनांे हंै जिनसे जुडे होने पर गर्व होना लाजमी है।

-अरविन्द सिंह ‘‘गोप’’

नेता जी का चुम्बकीय व्यक्तित्व हर किसी को अपनी ओर खींचता है, उनका यक्तित्व कर्मप्रधान है। उन्होंने राजनीति को नई दिशा दी है।

-राजीव राय

-